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बिलासपुर की बेटी काजल कौशिक ने कथक की भाव-भंगिमाओं और लयकारी से बांधा समा

सुर, ताल, छंद और घुंघरू के सातवें दिन कथक की अनुपम प्रस्तुति
रायगढ़, 2 सितम्बर 2025/ अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह के सातवें दिन की संध्या कथक नृत्य की मोहक छटा से सराबोर रही। बिलासपुर की सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना काजल कौशिक ने काली स्तुति, ठाठ, परण और तोड़ा, ठुमरी इत्यादि में अपनी अद्वितीय प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी भावपूर्ण अभिव्यक्ति, तीव्र लयकारी और कथक की विविध गतियों ने सभागार में उपस्थित श्रोताओं को आत्मविभोर कर दिया। भरतनाट्यम और ओडि़शी जैसी शास्त्रीय विधाओं की रंगत के बीच कथक की परंपरा ने मंच पर विशेष आकर्षण पैदा किया।      
          बता दे कि काजल कौशिक ने आठ वर्ष की आयु से नृत्य साधना आरंभ की और इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ से कथक में स्नातक एवं स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है। वे कथक के प्रख्यात आचार्यों डॉ. जितेन्द्र गड़पायले और डॉ. नीता गहरवार की शिष्या हैं। प्रस्तुति के दौरान मंच पर संगत देने वाले कलाकारों ने भी संध्या को अविस्मरणीय बना दिया। तबला पर राम भावसार व ऋषभ साहू, सारंगी पर सफीक हुसैन, पखावज पर देव लाल देवांगन, गायन में ऋषभ भट्ट और सितार पर यामिनी शैलेन्द्र देवांगन ने काजल की नृत्य प्रस्तुति में स्वर और लय का अनुपम संगम रचा।

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