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धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान योजना

जिले के 316 आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में 15 से 30 जून तक आयोजित होगा जागरूकता एवं संतृप्ति शिविर 
रायगढ़, 2 जून  2025/ रायगढ़ जिले में संचालित योजना पीएम-जनमन की भांति अनुसूचित जातियों के बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान शुभारंभ 02 अक्टूबर 2024 को किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य आदिवासी परिवारों के सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। इस अभियान में 17 मंत्रालयों द्वारा संचालित किए जा रहे 25 गतिविधियों को सम्मिलित किया गया है। 
सहायक आयुक्त आदिवासी विकास, रायगढ़ ने जानकारी देते हुए बताया कि धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान योजना में जिला रायगढ़ अंतर्गत विकासखण्ड धरमजयगढ़ के 120 ग्रामों में, विकासखण्ड लैलूंगा के 77 ग्रामों में, विकासखण्ड घरघोड़ा के 37 ग्रामों में, विकासखण्ड तमनार के 42 ग्रामों में, रायगढ़ विकासखण्ड 10 ग्रामों में, विकासखण्ड पुसौर के 5 ग्रामों में एवं विकासखण्ड खरसिया के 25 ग्रामों में इस तरह कुल रायगढ़ जिले में 316 आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए 15 जून से 30 जून 2025 तक जागरूकता एवं संतृप्ति शिविर का आयोजन किया जाएगा। 
शिविर में अनुसूचित जनजातीय वर्ग के परिवार, सदस्यों का तत्कालिक गतिविधियां अंतर्गत आधार कार्ड, राशन कार्ड, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान कार्ड, जाति प्रमाण-पत्र, किसान क्रेडिट कार्ड, पीएम किसान सम्मान निधि, जनधन खाता, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, सामाजिक सुरक्षा (वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन), रोजगार एवं कौशल विकास अंतर्गत (मनरेगा पीएम- विश्वकर्मा, मुद्रा ऋण) महिला एवं बाल विकास अंतर्गत पीएम मातृवंदन योजना का यथा संभव मौके पर पंजीयन किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान योजनांतर्गत जिले में 316 आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में आयोजित शिविरों में विभिन्न योजना-गतिविधियों से लाभान्वित किया जाएगा।
 गौरतलब है कि रायगढ़ जिले के 316 ग्रामों में धरती आबा योजनांतर्गत आगामी 05 वर्षों में दीर्घकालिक गतिविधि अंतर्गत जनजातीय परिवारों को पक्का घर, गांवों में सड़क, बिजली, पानी, मोबाईल यूनिट्स, आवासीय विद्यालयों व छात्रावासों-आश्रमों के उन्नयन तथा कौशल विकास और रोजगार के अवसर की उपलब्धता इत्यादि गतिविधियों के माध्यम से जनजातीय बाहुल्य ग्रामों को शत-प्रतिशत संतृप्ति किया जाना है।

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