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सच की बात है

ग्रीष्म ऋतु से तैयारी एवं बचाव हेतु दिशा निर्देश जारी

Bychattisgarhmint.com

Apr 2, 2025

लू के लक्षण एवं बचाव के संबंध में दी गई जानकारी 
रायगढ़, 2 अप्रैल 2025/ ग्रीष्म ऋतु के मौसम को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य में लू-तापघात से आवश्यक तैयारी एवं बचाव हेतु निर्देश जारी किए गए है।  
       लू के लक्षण-सिर में भारीपन और दर्द होना, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान अधिक हो जाने के बाद भी पसीने का न आना, अधिक प्यास और पेशाब कम आना, भूख कम लगना एवं बेहोश होना।
        लू से बचाव के उपाय-लू लगने का प्रमुख कारण तेज धूप और गर्मी में ज्यादा देर तक रहने के कारण शरीर में पानी और खनिज मुख्यत: नमक की मात्रा कम हो जाने से होता है। अत: इससे बचाव के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए। बहुत अनिवार्य न हो तो घर से बाहर ना जाये, धूप में निकलने से पहले सर व कानों को कपड़े से अच्छी तरह से बांध लें, पानी अधिक मात्रा में पीयें, अधिक समय तक धूप में न रहें, गर्मी के दौरान नरम मुलायम सूती कपडे पहनने ताकि हवा और कपड़े पसीने को सोखते रहे, अधिक पसीना आने की स्थिति में ओआरएस घोल पीये, चक्कर आने, उल्टी आने पर छायादार स्थान पर विश्राम करें तथा शीतल पेय जल अथवा उपलब्ध हो तो फल का रस, लस्सी, मठा आदि का सेवन करें, प्रारंभिक सलाह के लिए 104 आरोग्य सेवा केन्द्र से नि:शुल्क परामर्श ले, उल्टी, सर दर्द, तेज बुखार की दशा में निकट के अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केन्द्र से जरूरी सलाह ले।
लू लगने पर किये जाने वाला प्रारंभिक उपचार-बुखार पीडि़त व्यक्ति के सर पर ठण्डे पानी की पट्टी लगाये, पीडि़त व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लिटाये, शरीर पर ठण्डे पानी का छिड़काव करते रहे, पीडि़त व्यक्ति को यथाशीघ्र किसी नजदीकी चिकित्सा केन्द्र में उपचार हेतु ले जाये, मितानिन, एएनएम से ओआरएस के पैकेट हेतु संपर्क करें।
क्या करें- जितना हो सके पर्याप्त पानी पीएं, भले ही प्यास न लगी हो। मिर्गी, ह्दय, गुर्दे या लीवर से संबंधित रोग वाले जो तरल प्रतिबंधित आहार लेते हो, तरल पदार्थ लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श ले, हल्के, हल्के रंग के ढीले कपड़े पहने, ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन) घोल, घर का बना पेय लस्सी, (तोरानी चावल) का पानी, नींबू का पानी, छाछ आदि का उपयोग करें। बाहर जाने से बचें, यदि बाहर जाना आवश्यक है, तो अपने सिर (कपड़े/टोपी या छाता)और चेहरे को कवर करें। जहां तक संभव हो किसी भी सतह को छूने से बचें। 
नियोक्ता और श्रमिकों के लिए
क्या करें- कार्यस्थल पर स्वच्छ और ठंडा पेयजल प्रदान करें। श्रमिकों को सीधे धूप से बचने के लिए सावधानी बरतें। यदि उन्हें खुले में काम करना पड़ता है जैसे कि (कृषि मजदूर, मनरेगा मजदूर, आदि) तो सुनिश्चित करें कि वे हर समय अपना सिर और चेहरा ढकें रहें। दिन के समय निर्धारित समय सारणी निश्चित करें। खुले में काम करने के लिए विश्राम गृह की अवधि और सीमा बढ़ाएं। गर्भवती महिलाओं या कामगारों की चिकित्सकीय स्थिति पर विशेष ध्यान दें। यदि कोई बीमार है तो उसे उयूटी पर्यवेक्षक को सूचित करे। क्या न करें-कार्यस्थल पर धूम्रपान या तंबाकू का सेवन न करें, न ही थूके और न ही चबाएं। जो लोग बीमार हैं उनके निकट संपर्क से बचें। बीमार होने पर काम पर न जाएँ घर पर ही रहें।
वरिष्ठ नागरिक के लिए उपाय-जितना हो सके घर के अंदर रहें। पार्क, बाजारों और धार्मिक स्थानों जैसे भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर न जाएँ। अपने घर को ठंडा रखें, पर्दे और पंखे या कूलर का उपयोग करें। यदि आप बीमार महसूस करते हैं और निम्न में से किसी एक का अनुभव करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर को बुलाएँ उच्च शरीर का तापमान, शरीर में दर्द लगे, सिरदर्द, चक्कर आना, मतली या भटकाव लगना, सांस की तकलीफ  होना, असामान्य रूप से भूख लगना। यदि आप एक वरिष्ठ नागरिक की देखरेख कर रहे हैं तो नियमित रूप से हाथ धोने में उनकी मदद करें। समय पर भोजन और पानी का सेवन सुनिश्चित करें। उनके पास जाते समय अपना नाक और मुंह ढकने के लिए फेस कवर का इस्तेमाल करे। यदि आप बुखार, खाँसी, साँस लेने जैसे चीजों से पीडि़त हैं, तो आपको वरिष्ठ नागरिक के पास नहीं जाना चाहिए। उस दौरान किसी और को उसके पास जाने के लिए कहे वो भी पूरी सावधानी के साथ।

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