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ग्रैमी अवार्ड विजेता श्री राकेश चौरसिया की मधुर मुरली से निकले अद्भुत अलौकिक सुर से समारोह में घुली रूहानी मिठास

चांद अफजल कादरी की कव्वाली पर देर रात तक झूमते रहे श्रोता
अकॉर्डियन वादन की सुरीली धुनों से सजी शाम, तपसीर मोहम्मद एंड टीम की रही शानदार प्रस्तुति
8 साल से 77 साल उम्र के कलाकारों ने एक साथ दी प्रस्तुति
चक्रधर समारोह में पहुंचे विदेशी कलाकारों ने किया रोचक मंच संचालन
भजन एवं गजल गायक श्री प्रभंजय चतुर्वेदी की गायकी से महक उठा चक्रधर समारोह
रायगढ़ घराने की प्रख्यात कत्थक नृत्यांगना मां-बेटी की जोड़ी ने कत्थक नृत्य की दी मनमोहक प्रस्तुति
नीत्या खत्री की कथक प्रस्तुति ने कार्यक्रम में समा बांध दिया

रायगढ़, 11 सितम्बर 2024/ रायगढ़ में आयोजित 10 दिवसीय 39 वें चक्रधर समारोह के चौथी संगीत संध्या में मुम्बई, दिल्ली एवं रायपुर से आए कलाकारों के द्वारा प्रस्तुत कव्वाली, बांसुरी वादन, अकार्डियन वादन, तबला वादन एवं गजल गायन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुम्बई के प्रसिद्ध ग्रैमी अवार्ड विजेता बांसुरी वादक श्री राकेश चौरसिया की मधुर मुरली से निकले अद्भुत अलौकिक सुर से समारोह में घुली रूहानी मिठास घोल दी। इसी तरह रायपुर के तपसीर मोहम्मद एंड टीम द्वारा अकार्डियन की सुरीली धुनों में प्रस्तुति दी। जिसमे 8 साल से 77 साल उम्र के कलाकारों ने एक साथ मंच में प्रस्तुति दी और समारोह में पहुंचे विदेशी कलाकारों ने रोचक मंच संचालन किया। दिल्ली से आए चांद अफजल कादरी की कव्वाली पर देर रात तक झूमते रहे श्रोता। कार्यक्रम में गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में शामिल भजन एवं गजल गायक श्री प्रभंजय चतुर्वेदी की गायकी से महक उठा पूरा चक्रधर समारोह। 
         कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति में रायगढ़ की अनिता शर्मा ने भगवान श्री गणेश वंदन घर में पधारो गजानन जी सामूहिक भक्ति गीत गायन व जयकारे के साथ भक्तिमय माहौल में कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। उनके सुमधुर प्रस्तुति नगरी हो अयोध्या की… रघुकुल का घराना हो गीत से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। मौके पर उन्होंने एक से बढ़कर एक भक्ति गीत की प्रस्तुति दी। इसी तरह कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में रायगढ़ की नीत्या खत्री की कथक प्रस्तुति ने भाव-भंगिमाओं और मुद्राओं ने पूरे कार्यक्रम में समा बांध दिया। नित्या खत्री रायगढ़ घराने के श्री भूपेन्द्र बरेठ कत्थक नृत्य से शिक्षा प्राप्त कर रही है। कथक शब्द का उदभव कथा शब्द से हुआ है जिसका शाब्दिक अर्थ है कथा कहना। यह नृत्य मुख्य रूप से उत्तरी भारत में किया जाता है। कथक नृत्य शैली में विशेष रूप से रायगढ़ घराना, लखनऊ घराना, जयपुर घराना प्रसिद्ध है। कथक नृत्य की प्रस्तुति से पहले उन्होंने कहा कि मैं आज जो भी ही अपने गुरू की वजह से। उन्होंने इस मंच पर प्रस्तुति प्रदान के लिए जिला प्रशासन को धन्यवाद ज्ञापित की।
            चक्रधर समारोह की चौथी शाम अकॉर्डियन की सुरीली धुनों से सजी। रायपुर से पहुंचे तपसीर मोहम्मद और उनकी टीम ने कई प्रसिद्ध गीतों की इंस्ट्रुमेंटल प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की खासियत रही की इसमें 8 वर्ष की नन्हे कलाकार से लेकर 77 साल के लीजेंड कलाकार तपसीर मोहम्मद ने साथ मिलकर ऐसा कार्यक्रम पेश किया कि श्रोताओं की वाहवाही उन्हें पूरे कार्यक्रम के दौरान मिलती रही। जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहां, आज कल तेरे-मेरे प्यार के चर्चे, अजी ऐसा मौका फिर कहां मिलेगा.. एन इवनिंग इन पेरिस, गुलाबी आंखे जो तेरी देखीं जैसे गीतों पर शानदार प्रस्तुति दी। चक्रधर समारोह के मंच पर एक अनोखा नजारा दिखा। जब अकॉर्डियन वादन की एंकरिंग करने मंच पे अफ्रीकी कलाकार पहुंचे। उन्होंने कहा छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा। जिसे देखकर दर्शक भी कौतूहल से भर उठे। साउथ अफ्रीका से पहुंचे जी रेक्स और क्रोनी हॉनिड दर्शकों को कार्यक्रम का ब्यौरा देते रहे। जिसका सुनने वालों ने खूब लुत्फ  उठाया। अपने बीच विदेशी कलाकारों को पाकर श्रोताओं में खासा उत्साह देखने को मिला। 
            दिल्ली से आये श्री शिव प्रसाद राव शास्त्रीय गायन पर अपनी प्रस्तुति दिए। शास्त्रीय संगीत भावों और रागों का खूबसूरत संगम है। शिव प्रसाद आकाशवाणी दूरदर्शन सहित विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं। शास्त्रीय गायन की शुरुआत वैदिक काल से हुई। शास्त्रीय संगीत की दो पद्धतियां हैं हिंदुस्तानी संगीत और कर्नाटक संगीत। श्री शिव प्रसाद की शिक्षा दीक्षा कटक में हुई हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन में विशेष रुचि के कारण ग्वालियर शास्त्रीय घराने से उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया। हिंदुस्तानी संगीत में ध्वनि के प्रधानता होती है, जबकि कर्नाटक संगीत में भाव की प्रधानता होती है।
            रायगढ़ कत्थक घराने की प्रख्यात कत्थक नृत्यांगना श्रीमती बासंती वैष्णव और ज्योतिश्री बोहिदार मां-बेटी की जोड़ी ने कत्थक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रायगढ़ कत्थक नृत्य को श्रीमती बासंती वैष्णव और ज्योतिश्री बोहिदार ने विशेष पहचान दी है। चक्रधर समारोह के अवसर पर मां-बेटी की जोड़ी द्वारा मां गंगा के धरती पर अवतरण का जीवंत प्रदर्शन ठा.गजमड़ी सिंह जी की रचना के माध्यम से कार्यक्रम की मनमोहक प्रस्तुति दी। रायगढ़ घराने के कत्थक को श्रीमती बासंती वैष्णव द्वारा चीन, फ्रांस, जापान, दुबई जैसे कई देशों में प्रस्तुत कर गौरवान्वित किया गया है। इसी प्रकार श्रीमती ज्योतिश्री बोहिदार द्वारा भी स्पेन, नेपाल, दुबई जैसे कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रायगढ़ घराने के मनमोहक कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी जा चुकी है। उनके द्वारा चक्रधर समारोह में विशुद्ध रूप से रायगढ़ घराने के कत्थक शैली में अंग एवं भाव संचालन के माध्यम से मनमोहक प्रस्तुति दी गई। श्रीमती ज्योतिश्री बोहिदार रायगढ़ घराने की तीसरी पीढ़ी की कत्थक नृत्यांगना है और वे वर्तमान में पं.राजेंद्र के पास शिक्षा प्राप्त कर रही है। भारतीय संगीत और नृत्य शास्त्र इन जैसे कलाकारों से ही संपन्न होता है। प्रख्यात कत्थक नृत्यांगना श्रीमती बासंती वैष्णव और ज्योतिश्री बोहिदार की टीम में बेहतरीन तबला वादक, बांसुरी, मुजिकल आदि द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी गई।
            रायगढ़ के चक्रधर समारोह का मंच पर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त और सर्वोच्च सांगीतिक सम्मान के विजेता बांसुरी वादक श्री राकेश चौरसिया की प्रस्तुति हुई। उनकी मधुर मुरली से निकले अद्भुत और अलौकिक सुरों ने पूरे समारोह में एक रूहानी मिठास घोल दी। राग हेमावती से शुरू हुआ धुनों का सुरीला सफर तबले पर श्री रूपक भट्टाचार्य की संगत के साथ श्रोताओं को बांसुरी के आरोह-अवरोह की मधुर सांगीतिक यात्रा पर ले कर गया। रघुपति राघव राजा राम, वैष्णव जन तो तेने कहिए जैसे भजनों को उन्होंने अपनी बांसुरी के सुरों से सजा के प्रस्तुत किया। राकेश चौरसिया पद्मविभूषण हरिप्रसाद चौरसिया के भतीजे और शिष्य है और अपनी अद्वितीय कला और संगीत के प्रति समर्पण से भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत में एक विशेष स्थान बना लिया है। राकेश चौरसिया का बांसुरी वादन न केवल शास्त्रीय धुनों को जीवंत करता है, बल्कि इसमें समकालीन और प्रयोगात्मक संगीत तत्वों का भी समावेश होता है। उनके वादन की विशिष्टता उनकी तकनीकी महारत और भावनात्मक अभिव्यक्ति में निहित है, जो दर्शकों को एक संगीत यात्रा पर ले जाती है। चक्रधर समारोह में उन्होंने न केवल पारंपरिक रागों का प्रस्तुतिकरण किया, बल्कि नए प्रयोगों और समकालीन धुनों को भी बांसुरी के माध्यम से जीवंत किया। राकेश चौरसिया का संगीत सिर्फ सुनने में सुखद नहीं, बल्कि यह संगीत प्रेमियों को एक गहन मानसिक और भावनात्मक अनुभव भी प्रदान करता है।
              गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में शामिल रायपुर के प्रसिद्ध भजन एवं गजल गायक श्री प्रभंजय चतुर्वेदी ने चक्रधर समारोह के अवसर पर खूबसूरत गायकी की छलकिया प्रस्तुत की। भजन एवं गजल गायक श्री प्रभंजय चतुर्वेदी अनेक सम्मानों से नवाजे जा चुके है। श्री प्रभंजय चतुर्वेदी की गायकी से पूरा चक्रधर समारोह महक उठा और उपस्थित सभी लोग झूमने को मजबूर हो गए। उनकी गजलों की जीवंत प्रस्तुति से लोग भाव-विभोर होकर संगीत के अतीत में स्वयं को भी पहुंचाकर दिल को छू जाने वाली अनुभूति तक पहुंचे और उनकी गजलों से सभी लोगों का दिल भी मुस्कुरा उठा। उनके द्वारा तुम्हारे शहर का मौसम सुहाना लगे, दौलत ले लो शोहरत ले लो जैसी मनमोहक प्रस्तुतियां दी गई। श्री चतुर्वेदी के भजन विभिन्न चैनलों के माध्यम से भी प्रस्तुत होते है। श्री चतुर्वेदी इंडोनेशिया, मस्कट, थाईलैंड जैसे देशों में भी अपनी प्रस्तुतियां दे चुके है।
            दिल्ली से पहुंचे चांद अफजल कादरी ने कव्वाली कार्यक्रम पेश किया। देर रात शुरू हुए इस कार्यक्रम का लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। जैसे ही चांद अफजल कादरी ने वतन की मोहब्बत पर अपनी पहली कव्वाली शुरू की तो सुनने वालों का उत्साह देखते बनता था। पूरे कार्यक्रम के दौरान बीच-बीच में मिसरे और शेर का दौर भी चलता रहा। सुनने वालों ने भी जुगलबंदी मिलाई। चांद अफजल कादरी ने आदमी-आदमी से मोहब्बत करे, छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नयना मिलाई के, दमादम मस्त कलंदर जैसे गीतों पर प्रस्तुति दी। देर रात तक कव्वाली का सिलसिला चलता रहा। चांद अफजल कादरी लंदन, अमेरिका, मॉरीशस जैसे  देशों में भी कव्वाली गायन की प्रस्तुति दे चुके है।

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