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सच की बात है

पीएम जनमन योजना से बिरहोर सोनूराम को मिला पक्का मकान

Bychattisgarhmint.com

Sep 22, 2024

पक्के मकान बनने से बिरहोर परिवारों के जीवन की बदल रही दशा और दिशा
पीएम जनमन योजना विशेष पिछड़ी जनजातियों के जीवन में लेकर आ रहा राहत का उजियारा

रायगढ़, 22 सितम्बर 2024/ धरमजयगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत जमरगा के रहने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति बिरहोर परिवार के सोनूराम बिरहोर को पीएम आवास निर्माण होने से कच्चे मकान में जिंदगी बसर करने से राहत मिली है। अब वह पक्के घर में रह रहा है। सोनूराम ने बताया कि वह पहले अपने कच्चे मकान में परिवार के साथ रहता था। पक्का आवास की इच्छा तो हमेशा से थी परंतु जितनी घर की आमदनी थी उसमें परिवार का पालन पोषण हो पाता था। जिससे उनका पक्का मकान बनाने का सपना, सपना ही रह गया था। पीएम जनमन योजना का लाभ लेकर पक्का मकान बन जाने से सोनूराम को कई परेशानियों से एक साथ छुटकारा मिल गया है। अब उसे बारिश में छत से पानी टपकने या गीले दीवारों की चिंता दूर हुई। साथ ही सांप बिच्छुओं का भी डर नहीं रहा। अब वह अपने परिवार के साथ पक्के मकान में खुद को सुरक्षित महसूस कर रहा है एवं सुखद जीवन व्यतीत कर रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ मिलने से जिला प्रशासन सहित प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को धन्यवाद ज्ञापित किया।
           उल्लेखनीय है कि विशेष पिछड़ी जनजातियों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे और उन्हें सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने पीएम जनमन का लाभ सुदूर अंचलों में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति बाहुल्य वाले इलाकों तक पहुंच रहा है। प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना के तहत मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में जिले में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों का स्वयं के पक्के मकान निर्माण का सपना साकार हो रहा है और उनके परिवारों के जीवन की दशा एवं दिशा बदल रही है। 
       ज्ञात हो कि रायगढ़ जिला अंतर्गत धरमजयगढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत जमरगा जो कि जनपद मुख्यालय से 27 किमी एवं जिला से लगभग 105 किमी दूरी पर स्थित है। यहा पर निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति बिरहोर परिवार सोनू राम पिता सोनसाय बहुत गरीब एवं दीनहीन से थे, इनके पास रहने के लिए झोपड़ी एवं कच्चा मकान था, पक्का का आवास तो जैसे उनके लिए सपना हो। जंगल में माहुल पेड़ से पालतु जानवारों जैसे-गाय, बकरी को बांधने वाली रस्सी बनाकर एवं सूखी लकड़ी बेचकर अपने कमाए पैसों से दैनिक आवश्यकताओं को पूर्ण करते थे। गांव पहाड़ी क्षेत्र में होने के कारण हर साल तेज हवा, पानी के कारण घरों को बहुत नुकसान होता था। जिसके कारण इन परिवारों को हर साल घर की मरम्मत करनी पड़ती है। जिसके कारण इन परिवारों के आय का अधिकांश हिस्सा घर की मरम्मत में ही खर्च हो जाता था। जिससे इन परिवारों के आशियाने की चिंता बनी रहती है। बरसात के दिनों में गंदगी होती थी, जिससे बीमारी फैलती थी। बरसात में पानी टपकता था, सांप-बिच्छु का भी डर बना रहता था। 
        भारत सरकार द्वारा विशेष पिछड़ी जनजातियों के इसी प्रकार समाज से पिछड़े होने के कारण उन्हें विकास की मुख्य धारा में समाज के साथ आगे बढऩे के लिए लागू किये प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान अंतर्गत प्रधान मंत्री आवास योजना (ग्रामीण) से सभी पात्र विशेष पिछड़ी जनजाति को आवास दिये जाने से तो उनके चेहरे पर खुशी स्पष्ट दिखने लगी। सोनूराम बिरहोर पहाड़ पर झोपड़ी बनाकर अपना जीवन यापन कर रहा था। जब उन्हें शासन द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) अंतर्गत पक्का आवास निर्माण हेतु सहायता राशि प्राप्त होना बताया गया तो वह खुशी से फुले नहीं समाये। लेकिन अभी भी एक समस्या उसने सामने खड़ी हुई थी। जहां वह रह रहा था वहां पक्का घर बनाना संभव नहीं था। इसलिए ग्राम पंचायत द्वारा उन्हें ग्राम के आबादी जमीन में आवास निर्माण हेतु भूमि प्रदाय किया गया एवं उनके आवास निर्माण के लिए ग्राम पंचायत के सरपंच एवं कर्मचारियों द्वारा भी पूर्ण सहयोग मिला। जिसके परिणाम स्वरूप आज सोनूराम का पक्का घर बनकर तैयार है।

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