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सच की बात है

महान समाज सुधारक रामासामी पेरियार के जन्मदिवस पर विशेष लेख

Bychattisgarhmint.com

Sep 17, 2023

पेरियार के समय, भारत में दलित वर्ग की स्थिति बहुत ही दुश्मनानुकूल थी और उन्हें समाज में गहरे अन्याय का सामना करना पड़ता था। दलितों को उनकी जाति के कारण सामाजिक और आर्थिक रूप से नीचा माना जाता था, और उन्हें विभिन्न आर्थिक और सामाजिक अधिकारों से वंचित किया जाता था।पेरियार ने इस समाजिक अन्याय के खिलाफ सख्ती से आवाज बुलंद की और दलित समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। उन्होंने अपने “सेल्फ-रिस्पेक्ट मूवमेंट” के माध्यम से दलितों को उनके आत्मसम्मान की महत्वपूर्णता सिखाई और उन्हें समाज में गर्व और आत्मविश्वास का संदेश दिया।दलित समुदाय के सदस्यों को धर्म, जाति, और अन्य सामाजिक प्रतिबंधों से मुक्त कराने के लिए पेरियार ने जागरूकता फैलाई और उन्हें समाज में अधिकार और समानता की मांग करने के लिए उत्साहित किया। उनके संघर्ष ने भारत में दलित समुदाय के लिए समाजिक सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण परिवर्तनों की शुरुआत की, जिनमें दलितों को व्यावसायिक और शैक्षिक अवसरों का अधिकार प्राप्त हुआ।पेरियार के सामाजिक सुधार कार्य ने दलित समुदाय को उनके मौजूदा स्थिति से ऊपर उठने में मदद की और उन्होंने समाज में सामाजिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए।

पेरियार रामासामी ने भारतीय समाज के सुधार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विभिन्न समाजिक सुधार कार्यक्रमों के माध्यम से समाज को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए:

अंधविश्वास और जातिवाद के खिलाफ: पेरियार ने अंधविश्वास और जातिवाद के खिलाफ अपनी जीवनगाथा में संघर्ष किया। उन्होंने इन दो कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता फैलाई और लोगों को उनके हानिकारक प्रभावों से अवगत किया।

सेल्फ-रिस्पेक्ट मूवमेंट: पेरियार ने “सेल्फ-रिस्पेक्ट मूवमेंट” की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य दलितों को उनकी समाज में गर्व और आत्मसम्मान दिलाना था। इस मूवमेंट के अंतर्गत, वे दलितों के लिए अधिकारों की रक्षा करने के लिए कई आंदोलनों का प्रमुख थे।

द्राविडियन स्वतंत्रता कार्यक्रम: पेरियार ने ड्राविडियन स्वतंत्रता कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य दक्षिण भारत के राज्यों को ड्राविडिय क्षेत्र के तौर पर मान्यता दिलाना था। इसके अंतर्गत, उन्होंने भारतीय राज्यों के सांस्कृतिक और भाषाई विभिन्नता का प्रमोशन किया।

जाति और धर्म के बारे में विचारधारा: पेरियार ने हिन्दू धर्म के कुछ प्राचीन प्रथाओं के खिलाफ उनके “द्राविडिय द्रोह कार्यक्रम” के अंतर्गत आंदोलन किए, जिसमें वे मूर्तिपूजा के खिलाफ थे।राजनीतिक करियर: पेरियार ने तमिलनाडु में राजनीतिक करियर बनाया और वे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री भी रहे। उन्होंने समाज में सुधार के लिए राजनीतिक माध्यम का भी उपयोग किया और समाज के अधिकारों की रक्षा की।पेरियार रामासामी के प्रयासों ने भारतीय समाज को जातिवाद, धर्म के प्रति अपारितजन और सामाजिक समानता के मामले में सुधार करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान किया। उनकी विचारधारा और सामाजिक सुधार कार्य आज भी एक प्रेरणा स्रोत हैं।

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