अमर पराक्रम- प्रधानमंत्री के आव्हान पर छुट्टी के दिन भी बच्चों ने दोहराई शौर्य गाथा
“दसवें सिक्ख गुरू गोविंद सिंह जी के पुत्रों के गौरवपूर्ण इतिहास के पन्नों से महाविद्यालय में उमड़ा देश-प्रेम। ऑनलाइन वेबीनॉर में बच्चों ने कहा आज से पहले तो पता नहीं था लेकिन अब अत्मसात कर लिया”
जोबी, रायगढ़ः- नमन और श्रद्धांजलि की परम्परा में जुड़े नए अध्याय में माननीय प्रधानमंत्री महोदय श्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान और उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार शीतकालीन अवकाश सत्र में भी मंगलवार दिनांक 26 दिसम्बर 2023 को शहीद वीर नारायण सिंह शासकीय महाविद्यालय जोबी-बर्रा में देश भक्ति से आत-प्रोत एक दिवसीय ऑनलाइन वेबीनॉर आयोजित हुआ। जिसमें वीर बाल दिवस की थीम पर गुरू गोविन्द सिंह के पुत्रों को नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
महाविद्यालय के प्रभारी अधिकारी श्री सुरेन्द्र पाल दर्शन के निर्देशन में आयोजित इस वेबीनॉर में बड़ी संख्या में विद्यार्थी गूगल मीट के माध्यम से वर्चुअली सम्मिलित हुए। खासतौर पर मुख्य अतिथि रहे, जिले के जाने-माने समाज सेवी और राजनीतिज्ञ श्री गुरपाल भल्ला आकर्षण का केन्द्र रहे, उन्होंने सिक्खों के बलिदान की सच्ची गाथा के उन किस्सों से रूबरू कराया जिनसे विद्यार्थी अब तक अनभिज्ञ थे। शुरूआत श्री दर्शन द्वारा अतिथियों के स्वागत उपरान्त गुरू गोविन्द सिंह और उनके पुत्र बाबा जोरावर और बाबा फतेह सिंह के शौर्य परिचय से हुई। तदोपरान्त श्री भल्ला ने बच्चों की पीठ-थपथपाते हुए इस अभ्यास के प्रति प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने वीरता के अनसुने पहलुओं पर बेहद सुगम और सरल अंदाज में प्रकाश डाला। उन्होंने गुरू गोविन्द सिंह के चारों बेटों द्वारा सत्य, न्याय और धर्म की रक्षा के लिए दी गई प्राणों की आहुति सहित शहादत उपरान्त उनके अंतिम संस्कार के पूर्व, दुश्मनों द्वारा की गई सोने के सिक्कों की मांग पर टोन्डरमल के निःस्वर्थ सहयोग की प्रेरणास्पद यादों को ताजा किया। बताया कि किस तरह उन परिवारों ने लगातार तीन दिनों तक असहनीय यातना को सहर्ष स्वीकार लिया और छोटी सी उम्र में वे किस तरह मानव जाति के लिए इकलौती मिसाल बन गए। अंत में श्री भल्ला ने बच्चों के साथ जय भारत, जय छत्तीसगढ़ के नारे लगाए और नेकी की राह पर चल कर भारतवर्ष का गणमान्य नागरिक बनने की अपील की।
बढ़ते क्रम में सहायक प्राध्यापक श्री वासुदेव प्रसाद पटेल ने दोनों सिक्ख भाइयों के संबंध में बताते हुए कहा कि शहादत के पहले वे किंचित मात्र भी भयभीत नहीं थे, बल्कि उनमें तो छोटे भाई के दुनिया में बाद में आने और पहले वीरगति को प्राप्त करने जैसे साहसिक संवाद हुए थे। इधर, श्रीमति डॉ. श्वेता कुम्भज ने बच्चों को स्वतंत्रता के अधिकार का भविष्य निर्माण में सदुपयोग करने की सलाह दी, वहीं सहायक प्राध्यापक श्री योगेन्द्र कुमार राठिया ने बलिदान के विषय पर प्रश्नोत्तरी आयोजन किया। अंतिम चरण में मौन धारण कर शूरवीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उल्लेखनीय है कि इस दौरान आईक्यूएसी समन्वयक डॉ ज्ञानमणि एक्का के मार्गदर्शन में अतिथि व्याख्यता श्री रितेश राठौर ने बखूबी वेबीनॉर का तकनीकी संचालन किया और श्री राहुल राठौर ने प्रबंध संचालन में सराहनीय योगदान दिया।
विद्यार्थियों ने कहा कि अब तक पता न था पर आज जान गए
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छात्रा कु. मनीषा देवांगन ने छुट्टी के दिन हुए इस आयोजन के प्रति आभार प्रकट किया। वहीं, कु. मधु महंत की महारथी समदर्शी कविता के छंदों ने सदस्यों का मन मोहा। छात्रों में श्री उग्रसेन और श्री प्रवीण ने प्राप्त नवीनतम जानकारी पर कहा कि वे इस बारे में अनजान थे, लेकिन अब यह गौरवशाली इतिहास उनका प्रेरणास्त्रोत बनेगा।
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