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सच की बात है

भारत में मेरी पहली साईकिल यात्रा

Bychattisgarhmint.com

Jan 26, 2024

दिल्ली से लेकर राजस्थान तक रोमांचक साईकिल यात्रा करने वाले कनाडा निवासी टॉड टर्टल की कहानी उन्ही की जुबानी

अपनी साईकिल यात्रा के बारे में बताने से पहले मैं बताना चाहता हूँ कि मुझे साईकिल चलाना क्यों पसंद है | साइकिलिंग पसंद करने के दो कारण हैं – पहला कि साईकिल चलाने से मन हल्का हो जाता है| वैज्ञानिकों ने भी अपनी रिसर्च में कहा है कि साईकिल चलाने से अच्छे हॉर्मोन स्त्रावित होते हैं | मेरी पत्नी अक्सर मुझे साईकिल चलाने के लिए प्रेरित करती है | वो अक्सर कहतीं हैं कि साईकिल चलाना मेरे लिए दवाई का काम करता है |

दूसरा कारण है कि जब हम अवागमन के किसी साधन का प्रयोग करते हैं तो उतना वास्तविक अनुभव नहीं होता जितना साईकिल में होता है| बस या ट्रेन की खिड़की से जब बाहर देखो तो लगता है कि कोई फिल्म चल रही है पर जब हम साईकिल चलाते हैं तो हमें आसपास के परिवेश का वास्तविक तथा पूर्ण अनुभव होता है | साईकिल चलाते हुए हम दृश्य, सुगंध, आवाज महसूस कर सकते है और लोगों के साथ बातचीत का पूर्ण आनंद भी ले सकते हैं |

सन् 1990 के दौरान मैंने बहुत से यात्रा संस्मरणों को पढ़ा | वे यात्रा संस्मरण अलग-अलग देशों के बारे में थे | मैंने सोचा कि एक दिन मैं भी ऐसी ही रोमांचक यात्रा करूँगा | पहले मैं थोड़ा बहुत साईकिल चलाता था | सन् 2007 से मैंने नियमित रुप से साईकिल चलाना फिर से शुरू किया| मैंने यात्रा सम्बन्धी जो किताबें पढ़ी उसमें भारत मुझे कनाडा की तुलना में बहुत अलग देश लगा |

भारत की सांस्कृतिक विविधता ने मुझे आकर्षित किया | उन दिनों मैं भारत के बारे में बहुत कम जानता था| मैंने सोचा यदि मैं भारत जाता हूँ तो और अधिक उसके बारे में जान पाउँगा | भारत यात्रा से पहले मैंने उन लोगों की बहुत सी किताबें और ब्लॉग पढ़े जिन्होंने भारत में साईकिल चलाया है | सबसे बड़ी चुनौती थी कि भारत में कहाँ- कहाँ जाऊं क्योंकि इस देश में घूमने के लिए बहुत सारी अच्छी जगह है| अंत में मैंने सोचा कि मैं दिल्ली से शुरू करूँगा क्योंकि मेरी फ्लाइट कनाडा से दिल्ली तक थी |

साईकिल यात्रा की शुरुआत दिल्ली से हुई | दस मीटर चलाने के बाद मेरी साईकिल का टायर पंचर हो गया | जब मैं टायर ठीक करने की कोशिश किया तो मैंने देखा मैं नया ट्यूब लाना भूल गया था | तभी एक आदमी मेरे पास आया और उसने मुझे कहा कि आप अजीब इंसान है| आप भारत में साईकिल चला ही नहीं सकते क्योंकि यहाँ का मौसम और सड़क आपके अनुकूल नहीं है | आपके साथ लूटमार हो सकती है या आप ठगे जा सकते हैं |

उसके बाद एक सज्जन साईकिल से आये और उन्होंने कहा- ”मेरे साथ आइये मैं आपको दिल्ली से बाहर जाने का रास्ता बताता हूँ|” वे मेरे साथ-साथ ही चल रहे थे | बीस किलोमीटर बाद वे अपने ऑफिस की तरफ मुड़ गए और मुझे गुड लक कहा| जब मैंने व्यस्त सड़क के ट्रैफिक को देखा तो बहुत चिंतित हुआ पर जैसे ही साईकिल चलाना शुरू किया तो सब कुछ बहुत आसान लगा और सारी चिंता छू मंतर हो गई | मैं हाईवे पर साईकिल चला रहा था तभी मेरे सामने कुछ दूर एक गाड़ी आकर रुकी| मेरे भारतीय और कनाडा के दोस्त अक्सर मुझे सावधान रहने के लिए कहते थे इसलिए मैं डर रहा था, पर जब गाड़ी वाला मेरे पास आया तो उसने मुझसे बहुत अच्छी तरह बातचीत की | वह आदमी बहुत अच्छा था और मुझे बहुत प्रोत्साहित भी किया | उसने भी मुझे सावधान रहने के लिए कहा | कुछ दूर जाने के बाद मैंने देखा कि एक गाड़ी मेरा पीछा कर रही थी और लगातार हॉर्न बजा रही थी | मुझे महसूस हुआ कि शायद मैं मुसीबत में पड़ने वाला हूँ, पर जब वह गाड़ी मेरे पास आई तो मैंने देखा वो वही आदमी था जो मुझे मिला था और वो मेरे लिए अमरुद से भरी थैली लाया था|
यात्रा के पहले मेरे पश्चिमी दोस्त मेरी चिन्ता कर रहे थे कि मैं खाना कहाँ खाऊंगा और क्या खाऊंगा? मैं आश्चर्यचकित था क्योंकि खाने के जगह ढूँढना बहुत आसान था| मेरे ख्याल से मेरे दोस्त नहीं जानते मैं भारत के खानपान को कितना प्यार करता हूँ | आपकी गाड़ी पेट्रोल से चलती है पर मेरी साईकिल आलू पराठा से चलती है |
.मैंने महसूस किया कि सभी आपको सावधान करते हैं, पर मेरा अनुभव अच्छा था|
कनाडा की बड़ी और व्यस्त सड़कों की अपेक्षा भारत में साईकिल चलाना ज्यादा सुविधाजनक और सुरक्षित था | मैंने बहुत सी यात्रा संबंधी किताबों में पढ़ा जहाँ कुछ लोगों ने लिखा है कि जब सड़क पर अचानक बस आ जाये तो साईकिल चलाना कठिन हो जाता है पर मुझे ऐसा नहीं लगा | बस ड्राईवर ऐसे संकेत देते है जिसे आसानी से समझा जा सकता है और कोई भी दुर्घटना को टाला जा सकता है |

मेरी साईकिल यात्रा का अंत चिड़ावा (राजस्थान) में हुआ | चिड़ावा एक छोटा सा गाँव है | वहां मैंने कुछ दिन अपने दोस्त के साथ गुजारा और खेत खलिहानों और ग्रामीण जीवन को करीब से देखा |

साईकिल यात्रा के दौरान बहुत से रोमांचक पल आये | मैं थोड़ी देर सुस्ताने जब सड़क के किनारे रुका तो मैंने पहली बार ऊंट गाड़ी देखी| गाड़ी वाले ने मुझे अपनी फोटो खीचने को कहा | मुझे सड़क किनारे चाय की एक छोटी सी दुकान चलाने वाला भी मिला जिसने मुझे बढ़िया सी चाय पिलाई| उस समय मैं थोड़ी बहुत हिंदी बोल लेता था तो हम दोनों ने ढेर सारी बातचीत की| मैं जब भी किसी गाँव से गुजरता लोगों की भीड़ मुझे घेरकर बहुत से सवाल पूछती | मुझे चाय और नाश्ता भी परोसा जाता था | हिंदी बोलने और समझने के कारण ही मैं कई अनजान लोगों से जुड़ सका |

अगर कोई मेरी तरह साईकिल यात्रा करना चाहता है तो मेरी सलाह है कि सिर्फ उजाले में यात्रा करें| भारत में कनाडा की तरह शांत और सुनसान या जंगलों के बीच साईकिल नहीं चलाया जा सकता इसलिए हमेशा व्यस्त सड़कों में साईकिल चलाना चाहिए | सड़कों के किनारे बहुत से ढाबे और मेडिकल स्टोर होने के कारण सभी आवश्यक वस्तुएं आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं| व्यस्त जगहों में भी आप लोगों से बातचीत कर सकते हैं ।

हमारे देश में बहुत से लोग शारीरिक चुनौती लेते हैं जैसे दौड़ना, साईकिल चलाना आदि| वे ऐसा अपने लिए नहीं दूसरों की भलाई के लिए करते हैं दूसरे शब्दों में वे ऐसा किसी समाज सेवी संस्था में पैसे जुटाने के लिए करते हैं क्योंकि एक इंसान बहुत सा पैसा नहीं दे सकता पर अनेक इंसान थोड़ा बहुत पैसा दे सकते हैं | हम शारीरिक चुनौती लेकर समाज सेवा के प्रति अपने समर्पण को दिखाते है इसके लिए हम बहुत मेहनत करते है

मैं भोजन वितरण करने का सेवा कार्य करता हूँऔर इस भोजन सेवा में हम बहुत से लोगों को खाने-पीने की चीजे बांटते है और उसके लिए दूसरों से कुछ पैसा लेते हैं इसलिए भविष्य में मैं उनके लिए साईकिल यात्रा करके ज्यादा से ज्यादा पैसा जुटाने की कोशिश करूँगा जिससे कोई भी भूखा न रहे |

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